Vox Populi brings you the sixth edition of the series Unorthodox Career Choices. We interview people who have taken a leap of faith and bring their stories to you. This edition brings you the story of Aditya Raj Somani, an alumnus of the Y12 batch. Aditya Raj Somani is the co-founder of Hera Pheri Films, a production house based in Bangalore. He is the creator of numerous short films and web series including the popular hit “What the Goat“. Their short film ‘Nepathya‘ received the ‘Popular Choice Award‘ in the Yash Foundation Social Film Making Challenge. Check out some excerpts from our conversation with Aditya to know about his journey and how IITK influenced his career choice and this time in Hindi!

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प्र.1)Hera Pheri Films(HPF) लोगों के सामने कैसे उभर के आई और इसे स्थापित करने के शुरुआती दिनों में किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा था?

HPF की शुरुआत कॉलेज के दिनों में हुई थी। मैं और मेरे कुछ दोस्त, कॉलेज के तीसरे साल में Art105 कोर्स, Satyaki Roy सर के अंडर में कर रहे थे। कोर्स के लिए हमने एक पूरे सेमेस्टर कुछ छोटी-मोटी विडियोज़ बनाई। फिर उसके बाद मुझे “रक्षक फाउंडेशन” में इंटर्नशिप करने का मौका मिला लेकिन उसको बीच में ही छोड़ दिया और समर्स में सर के पास चले आए। फिर हमने सर की गाइडेंस में कॉलेज में हमारी पहली वेब सीरिज़ बनाई जिसका नाम “Raavayana” था। इसकी वजह से हमारे पास एक ऐसी टीम तैयार हो गई, जो काम करने को तैयार तो थी लेकिन किसी के पास भी कॉलेज से निकलने के बाद ‘क्या करने’ का प्लान नहीं था। फिर मैंने कॉलेज से निकलने के बाद 6 महीने शेयर-चैट में जॉब की और इसी बीच हमें स्टार्ट-अप सिस्टम पर एक वेब सीरिज़ ऑफर हुई और तब पूरी टीम ने सोचा कि जब इसी कला को ही अपना पेशा बनाना है तो जॉब करने का कोई मतलब नहीं है और इसी कारण सबने जॉब छोड़ दी और इस प्रकार HPF तैयार हुई।

अगर देखा जाए तो इस वक़्त तक कुछ खास परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ा था, पर इसके बाद हमारा असली इम्तिहान होने वाला था क्योंकि तुरंत जॉब छोड़ने के बाद हमने अगली वेब सीरिज़ “what the goat” पर काम करना शुरू कर दिया था और इसको पूरा करने में लगभग 6 महीने लग गए और इसी बीच पैसों की कमी होने लग गई क्योंकि जॉब भी कुछ ज्यादा महीनों तक नहीं की थी और जो भी सेविंग्स थी वो सीरिज़ बनाने में लग गई। इसके बाद मैंने ट्यूशंस लेना शुरू कर दिया और साथ ही कुछ विज्ञापन बनाने लग गए ताकि टीम जीवित रह सके। फिर “Analytic India Magazine” ने एक अवसर दिया और उनके साथ मिल के हमने “Dating Scientist” बनाया। शुरुआत में इसको व्यूज़ ही नहीं मिले लेकिन अचानक एक महीने बाद इसने रफ्तार पकड़ी और आखिर में काफी अच्छे व्यूज़ मिले। इसी के साथ हमारी रेल भी पटरी पर आ गई और लगातार काम मिलना शुरू हो गया और इसके बाद हमने बहुत सारी शॉर्ट फ़िल्म बनाई और HPF को एक पहचान मिल गई और टीम ने इसे ही अपना प्रोफेशन बना लिया।

 

प्र.2)शेयर-चैट में आपका काम करने का अनुभव कैसा रहा और टेक्निकल बैकग्राउंड होने से आपको अपने क्षेत्र में कैसे मदद मिली?

मेरी ब्रांच BSBE थी, तो मेरा टेक्निकल बैकग्राउंड ‘बॉयोलॉजी’ था जो आज तक मुझे कहीं काम नहीं आया सिवाए मेरे पापा को समझाने में कि कोरोना वायरस काम कैसे करता है। टेक्निकल स्किल्स के नाम पे मुझे थोड़ी बहुत कोडिंग आती थी और थोड़ी बहुत काम करते करते सीख ली, इसके अलावा मेरा कोई टेक्निकल बैकग्राउंड नहीं था।

मैं शेयर-चैट में कॉन्टेंट स्ट्रैटजी के लिए गया था और फिर मैंने BD(Buisness Development) किया, उसके बाद PR(Public Relations) किया और आखिर में User acquisition किया। शेयर-चैट की वजह से ही मुझे ऑनलाइन कॉन्टेंट स्पेस के बारे में पता चला क्योंकि उससे पहले मैं सिर्फ यूट्यूब, AIB, या TVF के बारे में ही जानता था। शेयर-चैट में ही यह जानने को मिला कि एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म काम कैसे करता है और साथ ही बहुत कुछ नई चीज़े जानने को मिली जो आज भी मेरे काम में मुझे फ़ायदेमंद साबित होती है।

 

प्र.3) इतने कम समय में, इतना कुछ सीखने के पीछे, आपका मोटिवेशन क्या था?

मोटिवेशन, नई नई चीजें सीखने और खाली समय को सही तरह से मैनेज करने का था क्योंकि जो भी मैं सीख रहा था उसको मुझे मेरा पेशा नहीं बनना था लेकिन जो भी मैंने सीखा वो कहीं ना कहीं मेरे फिल्म बनाने के कॅरियर में ज़रूर काम आया। BD भी इसलिए किया क्योंकि लेखन और फिल्म बनाने के अलावा, बिज़नेस से मेरा हमेशा लगाव रहा है। अगर देखा जाए तो स्टार्ट-अप करने वाले हर एक व्यक्ति के पास अलग अलग पहलुओं में काम करने का एक्सपीरिएंस होता है और शायद एक वजह यह भी है कि मैंने इतना सब कुछ सीख लिया।

 

प्र.4)आप कैंपस BSBE ब्रांच के साथ आए थे, तो आपका अपनी ब्रांच की तरफ कुछ रुझान था?

अगर मैं सच कहूं तो मुझे मेरी ब्रांच में कभी इंटरेस्ट ही नहीं आया। मैंने जैसे-तैसे कॉलेज पास किया था और जो कुछ मेरी ठीक ग्रेड बनी वो सिर्फ मेरे 14 HSS कोर्सेज का नतीजा थी, क्योंकि मैंने चार साल में इतने HSS के कोर्सेज कर लिए थे, जो एक MA करने के समान था। तो हां, मेरा BSBE की तरफ बिल्कुल भी रुझान नहीं था और कुछ क्रिएटिव आर्ट में ही अपना कॅरियर बनाना था।

 

प्र.5)इन 14 HSS कोर्सेज का आपके जीवन में क्या महत्व है?

यह कोर्सेज ही एकमात्र चीज़ है जिनका मेरे जीवन में महत्व आज भी है। मुझे कुछ पता नहीं है कि मैंने डिपार्टमेंटल कोर्सेज में क्या पढ़ा लेकिन इन्हीं कोर्सेज का प्रभाव आज मेरे लेखन, जिंदगी या पात्र चुनने में है। मैं अभी तक फिलोसॉफी या आर्ट्स की किताबें पढ़ता हूं और सच कहूं तो मेरे व्यक्तित्व का विकास करने में इन कोर्सेज की महत्वपूर्ण भूमिका है।

 

प्र.6)कैंपस के अंदर और बाहर, दोनों जगह पहली फिल्म बनाने का अनुभव कैसा था और क्या आपको दोनों जगह समान चुनौतियों का सामना करना पड़ा था?

कैंपस के अंदर, एक टीम बनाना और उसे लगातार फिल्म क्लब के साथ जोड़े रखना एक चुनौती थी क्योंकि कितने सारे क्लब प्रोजेक्ट्स शुरू होते है लेकिन बीच में ही रुक जाते है, हालांकि हमारी यह खुशकिस्मती थी कि हमारे साथ ऐसा कभी नहीं हुआ। कैंपस में फंड्स की कमी नहीं आती थी क्योंकि जिमखाना काफी हेल्पफुल था हालांकि उपकरणों की कमी थी लेकिन हमारा काम हो जाता था। इसके विपरीत बाहर हमें अच्छी जगह और आधुनिक उपकरण तो मिल जाते थे लेकिन सबके लिए पैसे देने पड़ते थे। पिचिंग, फंड्स का जुगाड़, काम को डेडलाइन से पहले पूरा करना, यह सब बाहर की चुनौतियाँ थी। जब आप एक शौक के तौर पर काम करते हो और जब आप पैसों के लिए काम करते हो, तो आप को दोनों के बीच का अंतर काफी क्लियरली दिखाई देता है।

 

प्र.7)आप SFS(Student’s Film Society) को क्या सुझाव देना चाहेंगे जिससे कि कैंपस जनता का “कला की दुनिया” की तरफ रुझान बढ़े?

मेरे ख्याल में “कला की दुनिया” में लाने के लिए बच्चों को किसी भी तरह का मोटीवेशन या सुझाव देने का कोई तर्क नहीं है क्योंकि आजकल के बच्चे Unorthodox कॅरियर का चयन करने में घबराते है। अगर देखा जाए तो हमारे आस पास के बैच वालों के पास मोबाइल इंटरनेट की उतनी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं थी जितनी आजकल के बच्चों के पास है। नई पीढ़ी के पास बेहतर संसाधन है। वे समझकर आए है कि उन्हें क्या करना है। अगर किसी का इंटरेस्ट फिल्म मेकिंग में पहले से है, तो वह अपने आप बढ़ चढ़कर हिस्सा लेगा हालांकि कुछ लोग PoR के लालच में हिस्सा ले लेते है और एक तरह से यह अच्छा चक्र भी है जिसमें बच्चा कमरे में रहने की बजाय कुछ तो अच्छा सीख रहा है।

 

प्र.8)आपने बहुत सारी शॉर्ट-फ़िल्में बनाई है। आपकी इन सभी फिल्मों का कोई मुख्य विषय है? 

मैंने कॉलेज में पांच फिलोसॉफी के कोर्स किए थे और उन सभी कोर्सेज से मैं इतना मोटिवेट हुआ कि मैंने जो भी फिल्में बनाई है उन सभी में एक फिलोसॉफिकल टच है। मेरा हमेशा से यही मानना रहा है कि कंटेंट ऐसा होना चाहिए जो असल जिंदगी को पर्दे पर दर्शाता हो। यूं कहें कि जिसे देखकर जीवन को अच्छी तरह से जीने की समझ मिल सके। मेरी फिल्मों का हर एक पात्र इस तरह से चुना जाता है कि जिसे देखकर लोग असल जिंदगी में खुद से रिलेट कर सके।

 

प्र.9)आप लॉकडाउन में अपना समय कैसे बिता रहे है? हालांकि हाल ही में कुछ छूट मिली है, तो आगे का आपका क्या प्लान है?

मैं काफ़ी खुश हूं कि इस लॉकडाउन ने मुझे थोड़ा आराम करने का मौका दे दिया क्योंकि जैसे जैसे हमारी टीम बड़ी हो रही थी वैसे वैसे क्रिएटिव काम कम और मैनेजमेंट का काम ज्यादा बढ़ रहा था। मैं इस कारण काम से थोड़ा ऊब गया था और कुछ महीनों का आराम चाह रहा था जो कोविड ने मुझे दे दिया। मैं अपने दोस्तों के साथ समय बिता रहा हूं, साथ खूब मज़े करते है, फिल्में देखते है और साथ ही दिन का कुछ हिस्सा लेखन कार्य को भी देता हूं जिसमें ज्यादातर मैं सॉन्ग्स लिख रहा हूं क्योंकि मुझे सॉन्ग्स लिखना काफी पसंद है और पिछले कुछ समय से मैं सिर्फ विज्ञापन के लिए जिंगल्स ही लिख रहा था। मैं कुछ कहानियों पर भी काम कर रहा हूं जो किसी फिल्म या वेब सीरिज़ के रूप में आप सबके सामने आ सकती है। मैं फिलोसॉफी में कुछ पेपर्स भी लिख रहा हूं। तो हाल फिलहाल तो यही लिखने और जिंदगी को और बेहतर तरीके से जीने का प्लान है।

 

प्र.10)IITK ने आपके व्यक्तित्व को कैसे आकार दिया और कुछ कैंपस की यादें हमारे साथ शेयर करना चाहेंगे जो आपके दिल में अभी तक जिंदा है?

मैं अपने आप को काफी खुशकिस्मत मानता हूं कि मुझे IITK मिला क्योंकि आज मैं जो कुछ भी हूं उसमे कैंपस का बहुत बड़ा रोल है। यहां आके मुझे पता लगा कि दुनिया में ऐसे कई अनसुने और अनकहे पहलू है जिन पर काम किया जा सकता है। यहां मुझे कई सारे दोस्त मिले जो मेरे सीनियर्स भी थे और जूनियर्स भी, और सभी की सोच किसी न किसी हद तक मेरे से मिलती थी और कॉलेज में रहते वक्त जो सुरक्षा का एहसास होता था कि “इतने बढ़िया इंस्टीट्यूट में है, कुछ न कुछ तो कर ही लेंगे”, उसके लिए मैं आज भी नॉस्टैल्जिक हूं। कुछ चुनिंदा यादें है- कैंपस में पहली वेब सीरिज़ बनाना, HSS के कोर्सेज, कैंपस में घूमना और मैंने कई क्लब्स और इवेंट्स में हिस्सा लिया क्योंकि मेरी पढ़ाई में रुचि कभी नहीं थी।

 

प्र.11)बचपन से ही आपका सपना सिविल सेवा में जाने का था लेकिन IITK में आने के बाद उस सपने को आपने क्यूँ सपना ही रहने दिया?

मुझे खुशी होगी अगर मेरे पैरेंट्स इस बात को समझ सकें तो। मेरे चाचा एक IPS अधिकारी हैं और मेरे आदर्श भी। मेरे माता-पिता हमेशा से यहीं चाहते थे कि मैं भी उनकी तरह अधिकारी बनूं और इसी कारण मैंने भी अपना मन UPSC देने का बना लिया। मेरा पूरा परिवार लिखने, बोलने और क्रिएटिव चीजों में अच्छा था और सातवीं तक मेरी शिक्षा हिंदी माध्यम में हुई थी, तो UPSC ही मेरे लिए एकमात्र चॉइस बची था। मैंने कभी IIT में जाने की नहीं सोची थी और यही ठान रखा था कि ग्रेजुएशन करने के बाद UPSC कर लेंगे लेकिन अचानक मेरा इंटरेस्ट मैथ्स, फिजिक्स और केमिस्ट्री की ओर बढ़ गया और फिर IIT में जाने का मन बना लिया। फिर मन को मैंने स्थिर रखा, तैयारी की और IITK में दाख़िला पा लिया। जब मैं कॉलेज में था, तब मुझे समझ आया कि मेरी रुचि का पता लगाने के यहां कई और विकल्प मौजूद है। UPSC उनमें से एक ज़रूर था, लेकिन साथ ही और भी बहुत सी चीजें एक्सप्लोर की। UPSC से कभी इनकार नहीं किया लेकिन जो मैं कर रहा था उसमें मुझे मज़ा आ रहा था। कभी कभी खुद को कोसता भी हूं कि काश! एक बार प्रयास किया होता, लेकिन जो किया सही किया क्योंकि अगर सिर्फ एक चीज पर ध्यान लगता तो मैं कॉलेज लाइफ का मज़ा नहीं ले पाता।

 

प्र.12)एक “unorthodox” कॅरियर चुनने पर आपके परिवार और मित्रों का क्या रिएक्शन था?

हां, वे अभी भी रिएक्शन दे रहे हैं! क्योंकि यह एक व्यवस्थित कॅरियर नहीं है, इसमें उतार चढ़ाव काफी ज्यादा है। यदि आप एक अमीर परिवार से हो, तो यह मायने नहीं रखता है कि आप अपना कॅरियर किस क्षेत्र में बना रहे है लेकिन जब मेरे जैसा कोई मिडिल क्लास परिवार का बच्चा अगर ऐसा कॅरियर चुन लेता है, तो आर्थिक और पारिवारिक रूप से काफी दबाव महसूस होता है। शुरुआत में काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा लेकिन जब एक बार रेल पटरी पर आई तो जिंदगी थोड़ी आसान हो गई और धीरे धीरे परिवार भी इस बात को समझने लग गया कि इसने जो किया अच्छा किया। हम ऐसे कॅरियर को “unorthodox” इसलिए कहते है क्योंकि इसमें मंज़िल पाने का कोई एक क्लियर रास्ता नहीं है, लेकिन जब इस रास्ते पर चलने वाले मुसाफिर को मंज़िल मिल जाए तो यह “unorthodox” नहीं रह जाता है।

 

प्र.13)आप IITK के बच्चों को क्या मैसेज देना चाहेंगे?

मेरा मैसेज बच्चों के लिए यही है कि एल्युमनी के साथ अधिक से अधिक जुड़िए और यकीन मानिए, वे अपना अनुभव और सही गाइडेंस, आपको देना पसंद करेंगे। कॉलेज, आपको अपनी ताकत और इंटरेस्ट पहचानने का मौका देता है। कॅरियर की चिंता भी कम करे। जितना हो सके, हर मौके पर चौका लगाने का प्रयास करें और अपनी किक को इन चार सालों में खोजने की कोशिश करें।

“Don’t use your college life as a launchpad for your career, use it as a launchpad for your life”


Credits- Aaryan Mehar, Abhimanyu Sethia, Ananya Gupta, Devansh Parmar, Raj Varshith Moora, Sarvesh Bajaj, Varun Soni.

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