Ekta Singh is a 5th-year student (BS-MS) from the Chemistry Department. Let’s have a look at her journey at IIT Kanpur and live the nostalgia and reminiscence with her.

Disclaimer:- The views presented below are the author’s own and are not in any manner representative of the views of Vox Populi as a body or IIT Kanpur in general. This is an informal account of the author’s experiences at IIT K.


 

चाय की चुस्कियां लेते हुए !

वैसे तो जितना भी अपने इन पांच (अभी पूरे नहीं हुए) सालों के सफ़र को कुछ शब्दों में समेटने की कोशिश करूँ, वो शायद कम पड़ें | खैर देखते हैं, कहाँ तक शब्द निकलते हैं |

मुझे याद है कि जब मै पहली बार कैंपस आई थी, तब ये सोचती थी कि वहां सारे पढ़ाकू मिलेंगे ! वैसे अपने स्कूल में तो सब ही शायद टॉपर रहे होंगे इसलिए मुझे लगा था कि यहाँ भी ज़िन्दगी आसान होगी और अपनी एक नयी पहचान बनेगी !

सबसे पहली मुलाकात यहाँ हुई अपनी IITK की अम्मा , Lavanya Taneja से, बहुत ही शांत और चापू थी हमारी अम्मा ! अम्मा ने अपने पहले साल में दस्सा मारा था, तो मुझे लगा की मैं भी ये करुँगी और सबसे पहले तो branch change करुँगी क्यूँकि यकीन मानिए हर बन्दे की तरह मैंने भी CSE या EE का सोचा था !

उन्होंने मुझे मेरे roomamtes से मिलवाया और सारी जानकारियाँ दीं !

शाम को मम्मी – पापा भारी मन के साथ आँखों में आँसू लेकर घर रवाना हुए और मै आ गयी अपने रुम यानी की बी-604 में , देखा तो एक सो रही थी और एक फ़ोन में ही व्यस्त रहती है ! मन में आया की ये कैसे roommates मिल गए ! मुझे बहुत ज्यादा तो नहीं याद है, लेकिन हमने एक दूसरे को इतना बोला था, की कोई भी दिक्कत होगी तो अब हमें आपस में मिलकर ही चीजें संभालनी है !

खैर, किसी तरह courses शुरू हुए ! JEE के टाइम पर जब टीचर पढ़ाते थे, तो तब तक समझाते थे, जबतक की एक एक बच्चे को समझ ना आ जाए, यहाँ तो प्रोफेसर क्या बोलते थे , यही समझने में 1 महीनें लग गए ! सच बताऊँ तो मुझे कुछ समझ नहीं आता था, समय बीता और आ गयी MTH101 की quiz! पता नहीं क्या ही लिखा मैंने उसमे, जब मार्क्स आये तो देखा 0 आये! जिंदगी में पहली बार जीरो देखा था ! स्कूल में तो एक नंबर कम हो जाता था तो लड़ जाते थे, यहाँ तो एकएक नंबर लाने के लिए खुद से लड़ाई करनी पड़ी !

उस वक़्त अम्मा ने समझाया की कोई बात नहीं , अभी पूरा course बचा हुआ है, अच्छा कर लोगे और मुझे भी लगा की लोग यहाँ इतना chill मारते हैं, सब हो जायेगा एक रात पहले ! मुझे आज भी याद है हम B wing वाले ( मै, मेरी बहनें और कुछ और दोस्त) हम सब लाइब्रेरी जाते थे, अजी पढ़ना कम होता था और वहां बैठकर टाइमपास ज्यादा ! हर 1-1 घंटे में हम बाहर घूमने निकल जाते थे, रात -रात भर oat की सीढ़ियों पर बैठके दुनिया भर की बातें करना, cc कैन्टीन में चाय पीना और maggi खाना ! आज भी याद करती हूँ वो पल तो ऐसा लगता है, जैसे कल की ही बात है !

इसी सब में , कुछ दिन और बीते और फाइनल exams आ गए ,लगभग हर exam में nightout मारा, मुझे लगा मै हर चीज संभाल लूंगी ! लेकिन, मै गलत साबित हुई, और पहले सेमेस्टर में ही F से रूबरू होना पड़ा | SPI काफ़ी कम आयी, और मेरा पूरा उत्साह ठंडा पड़ गया था ! पहला दिसम्बर जो मैंने घर पर बिताया , मुझे बस ये समझाया गया की तुम वहां पढ़ने गयी हो तो, इधर उधर की चीजों में ज्यादा ध्यान न लगाओ !

Winter ब्रेक से आने के बाद मै पढाई को लेकर थोडा serious हुई ! इस सेमेस्टर academic mentors की भी सहायता ली और सब भूलकर पढाई शुरू की ! लेकिन, ये सेमेस्टर तो और भी कठिन लगता था, मैंने जिंदगी में कभी coding नहीं की थी, इसलिए ESC कुछ पल्ले ही नहीं पड़ता था ! समय बीत रहा था, और दिन आ गया ESC की major quiz का , लगभग पूरे 400 बच्चे L-7 में आसपास बैठे थे ! मैंने अपनी एक करीबी दोस्त को बगल में बैठाया, आजतक कभी चीटिंग नहीं करी थी, लेकिन फेल होने से अच्छा मुझे उस वक़्त यही रास्ता अपनाना लगा ! मैंने सारे उत्तर छापे और कॉपी submit कर दी !

कुछ एक हफ्ते बाद tutorial हुआ , उसमे सभी को quiz की कॉपी वापिस कर दी गयी, लेकिन मेरा नाम ही नहीं लिया गया ! सबके जाने के बाद मैं tutor के पास गयी, तो उन्होंने पूछा, “ बेटा, किसने चीटिंग करायी” ! दिल काँप गया, पहले तो मैंने ये स्वीकार ही नहीं किया की मैंने ऐसा कुछ किया है ! फिर उन्होंने बताया की दो set थे, और तुमने सारे उत्तर दूसरे set के लिखे हैं, साथ ही साथ एक grade down करने की भी बात कही! मन बारबार धिक्कार रहा था कि बस यही देखना बाकी रह गया था !

किसी ने ये बोला की अब तुम course drop भी नहीं कर पाओगी ! पहला तो पहला मैंने, दूसरा सेमेस्टर भी बर्बाद कर दिया !

सच पूछिए तो मैं पूरी हताश हो चुकी थी, इसीलिए मैंने और बच्चों की तरह किसी भी क्लब में हिस्सा नहीं लिया | मुझे लगा की मैं इतना दिमाग रखती ही नहीं, और अगर गलती से कहीं किसी club ने entry दे भी दी , तो कुछ समय बाद नालायक बोलकर निकाल देंगे |

लेकिन, फिर मैंने सोचा की ऐसे वक़्त कैसे कटेगा, और मैंने अपने दूसरी roommate (Archana) के कहने पर प्रयास join कर लिया ! उस फैसले पर आज भी मुझे बहुत नाज़ होता है, बच्चों को देखकर ऐसा लगता था कि दिनभर की सारी थकान भूलकर एक नयी दुनिया में आ गयी हूँ मै, वो प्यार से दीदी-दीदी बोलकर सवाल करते, कुछ अपनी कहते , कुछ मेरी सुनते ! उनकी मासूमियत ने मेरा दिल जीत लिया, और धीरे -धीरे मेरा दूसरा सेमेस्टर कट गया !

grades आये, जिसका डर था इस बार भी वही हुआ, ESC101 में F मिल गया ! खैर, वो उसी गलती का फल था !

अब तो और निराशा हुई की डिग्री समय पर मिल पायेगी भी या नहीं, कुछ उम्मीद नहीं बची थी !

लेकिन, इस डर से ज़िन्दगी जीना थोड़े ही छोड़ सकते थे ! उस वक़्त मुझे ये लग गया कि कितनी भी कठिन परिस्थितियाँ आये, लेकिन हम इन आने वाले चार सालों से नहीं भाग सकते ! दूसरे वर्ष मैंने जमकर मेहनत की, सीनियर्स ने बहुत सहायता की , और उस साल मेरे हालात थोड़े सुधरे, और gradesheet में F भी नहीं दिखा !

धीरे-धीरे मैंने पढाई की tension को छोड़कर और भी चीज़ों पर ध्यान देना शुरू किया ! मैंने प्रयास जाना शुरू कर दिया था, क्यूँकि वो जगह मुझे आज भी अपने परिवार की कमी नहीं महसूस होने देती है, बच्चे और उनके माता-पिता इतना प्यार देते थे कि मैं सारी तकलीफ़ें भूल जाती थी ! इन 5 सालों में IITK ने मुझे जितना प्यार दिया है, अब लगता है कि अच्छा हुआ दिल्ली या बॉम्बे नहीं मिला !

समय की घड़ी धीरे-धीरे चल रही थी, 4th year आने पर भी मै थोडा chill थी क्यूँकि मैंने placements का कभी सोचा नहीं था ! इसका एक कारण मेरा department भी था, ज्यादातर लोग dual का ही सोच रहे थे और अपनी CPI से मुझे placement की उम्मीद भी नहीं थी !

उस साल प्रयास के coordinator होने की भी कई जिम्मेदारियाँ थी ! लगभग रोज़ ही प्रयास जाना होता था, और एक बार बच्चों के पास पहुँच जाइए तो वापिस आने का मन नहीं होता था, रोज़ के लगभग 3 से 4 घंटे उनके साथ बीतने लगे थे ! समाज को एक नए तरीके से देखने का जरिया बन गया था प्रयास, ऐसा लगा जिस समाज ने हमें इतना कुछ दिया है, हमें भी उसे कुछ ना कुछ लौटाना चाहिए !

अरे, मैं प्रयास में इतना खो गयी, अब dual पर वापिस आती हूँ !

 खैर, समय बीता, कुछ professors से बात की dual के लिए , लेकिन cpi के बिना तो कोई प्रोजेक्ट भी नहीं दे रहा था ! हाँ, तो इस बार निराशा नहीं  हाथ आई, cpi बढ़ी और dual के कटऑफ से ज्यादा हो गयी , और अंततः dual approve हो गया ! 

उसके बाद शुरू हुई असली कहानी जब अगले साल placement में बैठी, उसके पहले वाली गर्मी की छुट्टियाँ

चल रही थी ! मेरे पास resume में लिखने को कुछ ख़ास नहीं था ! न तो कोई internship, न कोई technical project और न ही कोई बहुत अच्छे courses, जी हाँ और न ही मुझे coding आती थी ! फिर भी किसी तरह वो एक पन्ना बनाया, पूरे वेकेशन में मैंने aptitude पर अपनी पकड़ मजबूत की ! रोज़ सुबह उठकर लाइब्रेरी जाना , और वहां 3-4 घंटे पढ़ना, ये सिलसिला सेमेस्टर में भी ज़ारी रखा ! बहुत लोगों ने coding करने को भी बोला लेकिन कुछ पल्ले ही नहीं पड़ा ! पूरा सेमेस्टर बस इस चिंता में डूबा रही की 6-7 दिन में तो कोई न कोई नौकरी तो लग ही जाएगी !

एक तो department ऐसा की काफी कंपनियां हमारे लिए खुलती ही नहीं हैं, ऊपर से cpi, कुछ टेस्ट जिनमें सिर्फ aptitude पूछे गए थे, वो clear किये और  Interview के लिए पहले दिन 3 companies में shortlist हुई, लेकिन तीनों ने 1-2 राउंड्स के बाद ही कटा दिया ! पहला- पहला दिन था, confidence की भी काफी कमी थी, दूसरी रात ठीक से नींद नहीं आई, 3 घंटे की नींद लेके सुबह- सुबह वापिस hall 13 ! उस दिन सिर्फ एक ही interview था, लगा की अगर इन्होंने भी reject किया तो अगले 3-4 दिन तो नौकरी नहीं ही लगने वाली !

लेकिन उस दिन सारे प्रश्नों के उत्तर confidence के साथ दिया, असल में अपनी एक दिन पुरानी गलती से भी काफी कुछ सीखने को मिला था, और नतीजा ये हुआ की उस कंपनी ने मेरा चयन कर लिया !

इस placement के पूरे सफ़र का श्रेय 3 लोगों को जाता है, Surya Prakash और Harsh Chittora & Meghansh !

कुछ बातें जो एक सीनियर के रूप में जाते जाते मैं आप सबसे कहना चाहती हूँ! कितनी भी कठिनाइयाँ आये, आत्मविश्वास का साथ कभी न छोड़े, अपनी प्रतिभाओं को जरूर निखारें लेकिन उनके चक्कर में कभी भी पढ़ाई को नजरंदाज न करें ! हमेशा अपने दोस्तों की मदद करें, क्यूँकि घर से दूर वही हमारा परिवार हैं और कभी भी अपनी तुलना किसी और के साथ न करें !

यकीन मानिए, अगर मैं ये कहूँ की ये पाँच साल मेरी ज़िन्दगी के सबसे अच्छे 5 साल थे, तो मैं गलत नहीं हूँ !

       

अंत में यही कहना चाहूंगी, की कभी भी किसी मदद की जरूरत पड़े तो बेहिचक बोलियेगा ! साथ ही साथ उन लोगों को धन्यवाद देना चाहूंगी जिनके बिना ये campus का सफ़र अधूरा रहता !

Mukund Mittal (Y14), Bijai (Y15), Vidushi (Y15), Jai Jain (Y15), Swati (Y15), Soumyadeep(Y15) Meghansh (Y16), Ashish (Y17), Current F-top wing (Hall -1) & Team PRAYAS

              P.S. : मैं VOX का दिल से धन्यवाद करती हूँ, जो मुझे आप तक पहुँचने का ये सुनहरा अवसर दे रहे हैं !


Written by:- Ekta Singh

Edited by:- Milind Nigam, Devansh Parmar

 

 

 

 

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