1. As We Leave

As We Leave… – Deepak Jorwal

Hi Everyone,

अगर आप सोच रहे हो कि इसमें कुछ पढ़ाई, intern या placement जैसी चीजों के बारे में जानकारी मिलेगी, तो कृपया यहीं पढ़ना बंद कर दें। मुझे लगता है कि मैं यह सब फ़ंडे देने के लिए सही इन्सान नहीं हूँ, क्योंकि IIT कानपुर के चार सालों में यह सब चीजें कभी मेरी priority थीं ही नहीं।

Canteen में रखे समोसे, दोस्तों के साथ pizza और cold drink, शाम को canteen मे बैठ कर Indian Cricket Team को खेलते देखना, movies देखने जाना, wing वालो के साथ फट्टा मैच खेलना, यह सब किसको अच्छा नहीं लगता। पर नहीं खेलते थे क्योंकि खुद के लिए कुछ करना था, तो self control करना पढ़ता था। जल्दी सोना, जल्दी जागना, एक भी दिन नाश्ता न छोड़ना, रोज़ 5 लीटर या उस से ज्यादा पानी पीना, यह सब कुछ देखने में बहुत आसान लग रहा होगा, लेकिन campus life के हिसाब से यह सब चीज़ें follow करना कोई आसान काम नहीं था। फिर भी कर लेते थे क्योंकि disciplined थे।

Self control and discipline are the two important things which sports will teach you. And I think Sports@IITK was one the best thing happen to me in life till now.

Campus आने से पहले मैंने तय किया था कि मैं यहाँ अपनी अलग पहचान बनाऊँगा। शुरूआती एक-दो दिन में ही पता चल गया था कि यहाँ पढ़ाई में पहचान बनाना पहाड़ तोड़ने जैसा काम है, तो मैंने क्रिकेट खेलने का फ़ैसला लिया। पर, orientation time मैं Anjani Dubey Ma’am से मिला, और उन्होंने मुझसे इतने प्यार से बात की कि मुझे लगा यहाँ सबसे तेज़ में ही दौड़ता हूँ। जब मैदान पहुँचा तो पता चला कि खुद के Batch में ही मेरे से अच्छे दौड़ने वाले दो लोग और थे, और seniors तो लगभग सारे ही अच्छे थे। पर जिस तरह प्यार से सारे टीम के लोगों ने बात की, मुझे अच्छा लगा और मैं रोज़ practice पर जाने लगा। This is how I found a new family which eventually gave me my own identity.

मैं पूरे पहले semester regular practice गया, चाहे Takneek हो या कुछ भी। हालाँकि दिसम्बर तक मेरी performance InterIIT Sports Meet के लायक नहीं थी, लेकिन मेरी regularity की वजह से एक senior के InterIIT न जाने पर मुझे टीम मे जगह मिली। और इस तरह मैंने अपने first year मे ही InterIIT खेली। वो दिसम्बर 2014 के तीस दिन नवंबर 2017 तक मेरी ज़िंदगी के सबसे यादगार दिन थे। Final year की InterIIT और भी ज़्यादा special थी क्योंकि कैप्टन था, जिस वजह से ख़ुद पर ज़िम्मेदारियाँ थी। सारे events बहुत ज्यादा close और tough थे। और तो और, उसके बाद टीम के साथ ट्रिप, वो भी pass out seniors के द्वारा fully sponsered। इतना सब कुछ ज़िंदगी मे एक साथ हो जाए, तो किस को अच्छा नहीं लगेगा।

इन सबके अलावा खेल से बहुत कुछ सीखने को मिला, जैसे:

1. Never give up attitude – एक रेस हारते थे और दो महीने फिर जम कर practice करते थे। हँसी की बात यह है कि यह सिलसिला चार साल तक चला।

2. खुद को  difficulties के against push करना – जब practice में थक जाते थे, तो अपना workout पूरा करने के लिए खुद को extra push करते थे। ना जाने इसी चक्कर मे कितनी बार vomiting भी हुई। पर फिर भी अपना workout करके अलग ही feel आती थी, specially जब tough workout होता था।

3. और सबसे important, Sports@IITK से मुझे confidence मिला, और institute athletics टीम को lead करने से सबसे ज्यादा confidence मिला। हालाकिं इन चार साल में मै एक भी individual गोल्ड मेडल नही जीत पाया, but when I look back at the journey of these four years of sports@IITK, I always feel confident and proud of myself. I started this journey with the Best Incoming Sportsperson Award in my 1st year, and zero medals in first 1.5 years; and ended it with the Best Outgoing Sportsperson with 31 medals, many trophies and infinite memories. I worked for the Games and Sports Council in my 2nd, 3rd and 4th year, without any POR, yet learnt a lot from this work and system.

Sports से मिले experience को मैं आगे बढ़ाना चाहता हूँ और इसी field में जल्द अपना start-up शुरू करना चाहता हूँ, जिसका नाम “Khel Kreeda” होगा। उम्मीद करता हूँ जल्द ही बाकी कुछ दोस्तों के साथ मिलकर अपना काम कर सकूँ। पता नहीं यहाँ सब लोग job के पीछे क्यूँ भाग रहे हैं। बहुत कम लोग ही यहाँ कुछ अलग हटकर करने की सोचते हैं। उम्मीद करते हैं कि आने वाले वक्त में लोग jobs की जगह अपने passion को follow करें, चाहे वो पढ़ाई हो या administration हो, cultural हो या sports related हो।

I still believe that IIT Kanpur has the potential of being no.1 institute of the country and we will became soon if every student will follow their passion.

मुझे पूरा विश्वास है अपने यहाँ के लोगो में। यहाँ के लोगों में हर चीज़ को अलग नज़रिए से देखने की क्षमता है, और इसी के सहारे वो अपने passion को follow कर सकते है।

To conclude, as my captain, Akash Waghela once said,”There is always little more to you than you think of yourself!”

Goodbye IIT Kanpur and best wishes to everyone!

Edited by Naman Verma

 

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