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As We Leave #28: शून्य से एक तक का सफर

Purushottam Ojha is a graduating Y19 student in the Chemical Engineering Department. In the twenty-eight edition of As We Leave, Purushottam talks about his four year journey at IIT-K and recalls the night outs and the dosa after. Read about Purushottam’s journey here filled with some gyaan for the juniors. 

Disclaimer:- The views presented below are the author’s own and are not in any manner representative of the views of Vox Populi as a body or IIT Kanpur in general. This is an informal account of the author’s experiences at IIT-K.

आज 31 मई है, मुझे IITK छोड़े लगभग 15 दिन हो गए हैं। मैं कई दिनों से अपना AWL लिखना टाल रहा था लेकिन आज अरिजीत सिंह के गाने सुनते सुनते कहीं से आवाज़ आयी की अपनी कहानी लिख ही देनी चाहिए, क्या पता कुछ 2-3 साल बाद जब कोई first year का बच्चा vox populi की वेबसाइट पर ये पढ़े तो उसे भी इतना ही मज़ा आये जितना मुझे हमारे Y14s, 15s का पढ़ने में आता था।  Honestly, मुझे कोई idea नहीं है की मैं क्या लिखूंगा, क्या इसमें ज्ञान देना चाहिए या सिर्फ अपनी कहानी बतानी चाहिए। कहने को तो बहुत कुछ है लेकिन सब कुछ इस एक article में लिखना संभव होगा नहीं, तो चलिए देखते हैं कहाँ तक शब्द निकलते हैं।

कॉलेज, एक ऐसी जगह जहां आप एक dumb बच्चे से एक “responsible adult ready to face the cruel(is it?) world” बन जाते हैं। IITK आने से पहले, मुझे इस बात का अंदाजा नहीं था कि कॉलेज असली में ऐसा होता है। शायद आप में से अधिकांश की तरह, मैंने भी कॉलेज-लाइफ को 3 इडियट्स जैसा सोचा था, लगता था एक रैंचो मिलेगा जिसके लिए हम “Kahan gaya use dhundo” वाला गाना गाएंगे या शायद वो रेंचो हम खुद होंगे और हमारे दोस्त हमारे लिए वो गाना गाएंगे। या शायद कॉलेज लाइफ ऐसी होती होगी की हम डीन के ऑफिस में घुस कर पेपर चुरा लाएंगे, या शायद ऐसी की हम किसी रेंचो के कहने पर interviewer को ही मना करके आ जायेंगे!

पर, कॉलेज वैसा नहीं होता ये तो पहले सेमेस्टर के बाद ही समझ आ गया था। अगर वैसा नहीं होता तो फिर कैसा होता है इस बात की बड़ी चिंता थी। ओरिएंटेशन के दिन तो बड़े मज़े में निकल गए। JEE फोड़ के आये थे तो सोचा की पढाई लिखाई तो नहीं ही करनी, खूब मज़े किये, हर क्लब के इवेंट्स में गए, तकनीक में सीनियर्स से गाली खायी, अंतराग्नि में DU की लड़कियों को कैंपस टूर भी कराया। Quizzes और assignments को छोड़ कर सब कुछ सीरियसली लिया। इस हद्द तक chill मारा की सीपीआई CSE में ब्रांच चेंज करने वालों की आधी आयी; बड़ा धक्का लगा, पर फिर कुछ वक़्त में ही दिमाग से निकल गया :)।

अगला सेमेस्टर आया और इस सेमेस्टर होने वाली थी Galaxy. इस एक शब्द का IIT Kanpur के कल्चर में बड़ा योगदान है। अगर आपके मन में भी ये सवाल है की ये कल्चर होता क्या है जिसके लिए इतना हउआ है तो DM करियेगा, आराम से बात करेंगे। खैर, 2020 के शुरुवाती दो महीने बड़े enthu में निकल गए। जो जोश और उमंग गैलेक्सी में देखने को मिली वो किसी काल्पनिक फिल्म के दृश्य से कम नहीं थी। हर तरफ जीत का जूनून, दूसरे हॉल के दोस्तों को hall cheering के वक़्त गाली देना और थोड़ी ही देर बाद मेस में साथ बैठ के खाना खाना। काफी सही वक़्त था वो, ऐसा लगा था कि बढ़िया जा रही है कॉलेज लाइफ, फिर आया Covid 🙂

होली की छुट्टियों में घर गए थे और 1.5 साल तक वापस ही नहीं आ पाए। कहने की कोई बात नहीं, covid का वक़्त काफी मुश्किल था, छोटा घर, अस्थ्यायी इंटरनेट, profs. के बेतुके assignments और उनको ठीक से अपलोड करने की झंझट। हर तरफ डर का माहौल, मोदी जी के अजीबोगरीब नुस्खे और “कॉलेज कब वापस जा पाएंगे” इसकी constant चिंता।  जैसे तैसे covid के 3 phases निकले, पता ही नहीं चला कब हम एंथु से लबालब first yearite से इंटर्न लगने की आस में उलझे उदास से 3rd year के बुजुर्ग बन गए।

कॉलेज का एक ज़रूरी हिस्सा जिसे Position Of Responsibility कहते हैं, उस पर भी असर आया। कहीं न कहीं, ये लगने लगा था की फर्स्ट ईयर में पढ़ लेना चाहिए था, अब देखो counselling service में sg बनने लायक cpi भी नहीं है। थोड़ी मेहनत करके cpi बढ़ाई और core team member बनकर, बच्चों को एक बेहतर और संतुलित कॉलेज लाइफ जीने में मदद करने का सपना लिए, फॉर्म भर दिया। 2-3 रॉउंड क्लियर हो गए, तभी अंतिम राउंड में माननीय हेड प्रोफेसर साहब इस बात से नाराज़ हो गए की मैंने उनके ऑनलइन में भरपूर चीटिंग होने के trick question को स्वीकार कर लिया, जैसे उन्हें पता ही न होगा :). खैर, जहाँ problems को identify करने में ही दिक्कत हो, वहां जाकर भी मैं क्या कर पता।

वक़्त निकला, covid का 3rd phase लगभग खत्म हो रहा था और कॉलेज ने resource constrained स्टूडेंट्स को बुलाने का फैसला लिया। पहले लगा की बहुत restrictions होंगी तो रहने दिया, फिर पता चला की ऐसा कुछ खास है नहीं। फिर क्या था, दिक्कतें तो थी ही, दुबारा बुलाया जाने की कोई तारिख भी नहीं थी, न आने वाली थी, तो आव देखा न ताव, दो स्कूल बैग्स में सामन पैक किया और illegally रहने आ गया। “आखिर यहीं बातें तो बाद में याद आएँगी” सोच के आया था पर पकड़ा गया, फाइन भरना पड़ा पर बड़ा मज़ा आया इस पूरे किस्से में। 

थोड़ा थोड़ा करके हम सब आगे बढ़ते गए, Antaragni आयी, Techkriti हुई, वापस से चहल पहल हो गयी कैंपस में, Y18 से बहुत कुछ सीखने मिला, वो ग्रेजुएट हो गए, हम में से कुछ लोग इंटर्नशिप पर गए। मेरे इंटर्नशिप में मुझे IIT Bombay घूमने जाने को मिला और मैं ये बात अब पूरे यकीन से कह सकता हूँ की IIT Kanpur जैसा कोई दूसरा कॉलेज हो ही नहीं सकता, इसलिए फक्र करिये की आप यहाँ हैं।

1. Dost: हमारे कैंपस में लगभग 10,000 से ज़्यादा लोग रहते हैं पर सबसे पहले जो आपके दोस्त बनेंगे वो आपके wingies ही होंगे। ये बात अलग है, की वक़्त क़े साथ कुछ लोग अपना ग्रुप बना लेते हैं, कुछ लोग wingies से दूर सिर्फ girls हॉस्टल या boys हॉस्टल में ही मिलेंगे। चाहे जो हो पर जाकिर भाई कि एक बात पक्की है, “मज़े जगह से थोड़ी आते हैं, मज़े तो लोगों से आते हैं ” इसलिए दोस्त ज़रूरी हैं , चाहे वो 1 हो या 10, जूनियर हो या सीनियर, matka हो या पीएचडी ;-;

2. Academics: IIT में आ गए तो लाइफ सेट है, ये बात झूठ है।  कुछ लोगों को MTH 101, PHY 103 मे ही इंटरेस्ट आ जाता है, कुछ लोगों को 8th सेमेस्टर तक भी अपना डिपार्टमेंट पसंद नहीं आता। एक बात तय है, आप जिस भी केटेगरी में आते हों, cpi criterias तो सब पर बराबर लगते हैं। अगर उसके ऊपर आते हैं तो बहुत अच्छी बात है वरना कुछ तो होना चाहिए आपके पास जो इसे balance आउट कर सके।  पढाई करें या न करें, पढाई करने की आदत रहनी चाहिए।

3. POR: Resume भरने के लिए इसे करना बेकार है, इसे करने के लिए करना….worth it है।

4. Night-outs: अपने कैंपस की सबसे खूबसूरत बात यहाँ की आज़ादी है जो बाहर कहीं नहीं मिलेगी। मैं आज भी जब कॉलेज को याद कर रहा हूँ तो यादों की लिस्ट में सबसे ऊपर night-outs ही हैं। आखिर रात भर जागने के बाद सुबह के Dosa का स्वाद कुछ और ही होता है।

5. Love एंड other Drugs: If you can afford it, it’s your choice! बाकियों के बारे में तो कुछ नहीं बोलूंगा पर इश्क़ एक बेहद खूबसूरत एहसास है; embrace it, if you get a real one।

Some Advice To Juniors:- (It will be convenient to talk about some serious aspects of college life in a more familiar language :|. )

In my experience, college is a not-so-perfect rollercoaster ride; some days will be blossoming, while some draining. Whatever maybe, your friends will always be there for you and therefore I  advise you to choose your friends wisely. Take some time to understand people, because time once invested won’t return, don’t spend it on undeserving people.

Whatever you love doing, be it academics, some extracurriculars, other leadership/management stuff, etc., do it religiously without a shadow of a doubt because at the end everything pays off and nothing goes in vain. I, myself, couldn’t participate much in SnT and Sports, but I advise you to pick one activity from all the three groups; Cult, SnT & Sports as it helps in building an overall personality.

Undoubtedly, placement is the most important and final push of your college life, so play it on your strengths, and go for the profile you would want to work into, not just because of its lucrative packages. Be overactive during those four months and never miss out on tests. Keep a close friends/wing circle for all the discussions. Give equal importance to communication(Preparing intro, explaining projects, HR questions) during the interview. Always remember, there is at least one perfect company among all, waiting for you to bless their workforce :).

Last but not the least, be gentle with people. One hidden aspect of college life that keeps running in the background is our Family. During my time on campus, I had a constant struggle going on because of a family situation that nobody except a few knew about. So always be cheerful and help strangers!

चलते चलते, चलिए आखिरी साल के ऊपर थोड़ी बात कर लेते हैं। जब मैं 4 साल पहले यहाँ आया था, तो एक उम्मीद थी की अभी तो खाली हाथ हूँ पर जब यहाँ से निकलूंगा, सब ठीक करके निकलूंगा। मेरा हॉल 1 में बिताया हर एक वक़्त बहुत लम्बे समय तक जेहन में अच्छी यादों में रहेगा। यह जगह वो हर कुछ चीज़ देने के काबिल है जो एक अच्छी ज़िन्दगी के लिए ज़रूरी है।

तो….. फंडा ये है गुरु, कि अगर आप अभी कॉलेज में हैं ना, तो जी लीजिये अपने सबसे खूबसूरत वक़्त को, कल क्या पता रहे न रहे। गलतियां करिये, कमरे के बाहर निकलिए और खोजिये अपने आप को, थोड़ा गौर करेंगे तो जरूर मुलाक़ात होगी खुद से !

उन सबका धन्यवाद जिन्होंने college को एक अच्छा अनुभव बनाया। मेरे बहुत सारे दोस्त इन तस्वीरों में हैं, जो यहाँ नहीं वो भी दिल में हैं। वैसे भी, अपने दिल का एक जरुरी हिस्सा छोड़ कर आया हूँ कानपुर में, जब जब मौका मिलेगा, आता रहूँगा।

Written by: Purushottam Ojha 
Edited by: Nandini Vaid, Mohika Agarwal