Archies Arck is a graduating undergraduate student in the Computer Science Department. Here’s a poetic depiction of his journey through IITK.
Disclaimer:- The views presented below are the author’s own and are not in any manner representative of the views of Vox Populi as a body or IIT Kanpur in general. This is an informal account of the author’s experiences at IIT-K.
वक़्त ने मिलाए कुछ लोग अजनबी ,
एक माहौल नया एक जगह नई |
आँखों में सपने दिल में इरादे लिए,
परिंदों ने उस सवेरे से न जाने कितने वादे किए|
थे वो भी घर से दूर अपने माँ-बाप के दुलारे,
करीब आए, घुले-मिले, बन गए कुछ दोस्त हमारे|
कोई स्वभाव में शांत, कोई बहुत बातें करता था,
कोई बेफिक्र खुशमिजाज़, कोई बात बात पर डरता था,
थे आये सभी अलग अलग दिशाओं से,
रूबरू अलग रीतियों से, अलग भाषाओं से,
साथ फिर भी सबका अपना सा लगता था,
हर मुश्किल दिन के बाद महफ़िल सा जमता था,
जहाँ मन हल्का करने को हम नाचते गाते थे,
कभी खुद की बारी आती थी, कभी दूसरों को सताते थे,
कभी साथ पढ़ते, तो कभी साथ खेलते थे,
अच्छे बुरे हालात सभी साथ ही झेलते थे|
बीते दिन साल बीते, एक परिवार सा बन गया,
हुए सबके सुख दुःख में शामिल, घर से दूर एक रिश्ता सा बंध गया|
न जाने उन महफिलों के बीच कब समय गुज़र गया,
ख़त्म होने को आया यह साथ, तब यह दिल मानो ठहर गया|
शायद उस वादों भरे सवेरे की यही शाम है,
आज़ादी भरे हमारे इस अध्याय का यहीं पूर्ण-विराम है |
अब लगता है कि काश उनके साथ आने से कभी मना नहीं किया होता,
काश तस्वीरें लेने की बजाए लम्हों को और जी लिया होता,
क्योंकि वो लम्हे कहाँ इन छोटी तस्वीरों में समा पाएंगे,
गुज़रेंगे जब भी वो पल सामने से, आँखों में नमी भर जाएंगे,
एक बार फिर हमारे रास्ते जुदा हो जाएंगे,
थोड़ा रोएंगे, थोड़ा मुस्कुराएंगे, जब भी वो दिन हमें याद आएंगे |
Written by: Archies Arck
Edited by: Ayush Anand, Abhimanyu Sethia